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ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है और फ्यूचर्स ट्रेडिंग क्या है | F&O Kya Hota Hai |

By nnikure

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शेयर मार्केट ऑप्शन और फ्यूचर्स ट्रेडिंग जानकारी के साथ :-

शेयर बाजार में निवेशकों के लिए कई तरह के ट्रेडिंग विकल्प उपलब्ध हैं। इनमें से दो प्रमुख और लोकप्रिय वित्तीय उपकरण हैं—ऑप्शन (Option) और फ्यूचर्स (Futures) ये खास शेयर बाजार के ट्रेडिंग है। Share market option & future trading एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और ये दोनों निवेशकों को जोखिम प्रबंधन, विचार करना और लाभ अर्जित करने के लिए कई अवसर प्रदान करते हैं। ये दोनों वित्तीय उपकरण डेरिवेटिव्स होते हैं, यानी ये किसी अन्य मूलधन (अस्थिर संपत्ति) के आधार पर मूल्य प्राप्त करते हैं। शेयर बाजार में इनका उपयोग अधिकतर जटिल और उच्च जोखिम वाले निवेश रणनीतियों के रूप में किया जाता है। इस लेख में हम ऑप्शन ट्रेडिंग और फ्यूचर्स ट्रेडिंग जानकारी के बारे में विस्तार से समझेंगे, उनके फायदे और नुकसान पर भी चर्चा करेंगे। f&o में ट्रेडिंग करने के लिए अधिक ज्ञान और समझ की आवश्यकता होती है, क्योंकि इनकी प्रकृति काफी जटिल होती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है :-

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ऑप्शन एक प्रकार का वित्तीय अनुबंध (contract) है, जो निवेशक को एक विशिष्ट कीमत (strike price) पर किसी विशेष स्टॉक या अन्य संपत्ति को एक निर्धारित समय सीमा (expiry date) के भीतर खरीदने (call option) या बेचने (put option) का अधिकार देता है, लेकिन यह कोई कर्तव्य नहीं होता।

कॉल ऑप्शन : यह ऑप्शन धारक को एक विशेष मूल्य (स्ट्राइक प्राइस) पर एक निश्चित समय सीमा के भीतर संपत्ति को खरीदने का अधिकार देता है।

पुट ऑप्शन : यह ऑप्शन धारक को एक विशेष मूल्य पर संपत्ति को बेचने का अधिकार देता है, लेकिन इस प्रकार की स्थिति में भी वह यह काम करने के लिए बाध्य नहीं होता।

ऑप्शन ट्रेडिंग की अवधि सीमित होती है, यानी ऑप्शन का एक निष्कर्ष समय होता है। यदि निवेशक समय के भीतर अपने अधिकार का उपयोग नहीं करता है, तो ऑप्शन की कीमत शून्य हो सकती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे :-

लाभ में वृद्धि (Leverage) : ऑप्शन ट्रेडिंग में कम पूंजी से बड़ी राशि का नियंत्रण किया जा सकता है। इस प्रकार, यदि सही दिशा में निवेश किया जाता है तो काफी अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है।

विविधता : ऑप्शन का उपयोग विभिन्न निवेश रणनीतियों में किया जा सकता है, जैसे कि हेजिंग (जोखिम से बचाव), विचार करना या अतिरिक्त आय उत्पन्न करना (कवर कॉल रणनीति के माध्यम से)।

समय सीमा के कारण सीमित नुकसान : ऑप्शन खरीदने पर अधिकतम नुकसान प्रीमियम तक सीमित होता है। यदि ऑप्शन की वैधता समाप्त हो जाती है और मूल्य निर्धारण सही नहीं होता है, तो निवेशक केवल प्रीमियम खो सकता है।

हेजिंग की सुविधा : निवेशक ऑप्शन का उपयोग मौजूदा स्टॉक पोर्टफोलियो को जोखिम से बचाने के लिए कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक निवेशक पुट ऑप्शन खरीदकर अपनी स्टॉक होल्डिंग्स पर सुरक्षा प्राप्त कर सकता है।

उच्च लाभ की संभावना : ऑप्शन के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त करना संभव है क्योंकि इससे छोटे निवेश के बदले बड़े लाभ की संभावना होती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के नुकसान :-

समय सीमा (Time Decay) : ऑप्शन ट्रेडिंग में समय के साथ मूल्य कम हो जाता है (टाइम डिके)। जैसे-जैसे ऑप्शन की समाप्ति की तारीख करीब आती है, उस ऑप्शन की वैल्यू घटने लगती है, विशेषकर यदि बाजार में अपेक्षित उतार-चढ़ाव नहीं आता।

जटिलता : ऑप्शन ट्रेडिंग एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, क्योंकि इसमें कई प्रकार की रणनीतियाँ होती हैं, जैसे कि स्प्रेड्स, स्ट्रैडल्स, और स्ट्रैंगल्स। इन रणनीतियों को समझने के लिए अच्छे मार्केट ज्ञान और तकनीकी विश्लेषण की आवश्यकता होती है।

प्रीमियम लागत : ऑप्शन के लिए निवेशक को प्रीमियम का भुगतान करना होता है। अगर ऑप्शन समाप्त हो जाता है और वह लाभकारी नहीं होता, तो वह प्रीमियम पूरी तरह से खो सकता है।

साहसिक रणनीतियों में अनियंत्रित नुकसान : ऑप्शन को बेचने पर, विशेष रूप से बिना सुरक्षा के, नुकसान की संभावना बहुत अधिक हो सकती है। यदि मार्केट अचानक तेजी से बढ़ता है, तो ऑप्शन बेचने वाले को काफी बड़ा नुकसान हो सकता है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग क्या है :-

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फ्यूचर्स एक वित्तीय अनुबंध है, जिसके तहत दो पक्ष (buyer और seller) एक निर्धारित कीमत पर किसी संपत्ति (जैसे स्टॉक, कमोडिटी, इंडेक्स आदि) को एक निश्चित तारीख पर खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं। फ्यूचर्स का उद्देश्य भविष्य में किसी संपत्ति की कीमत पर ट्रेडिंग करना होता है।फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में एक विशेष बात यह है कि यहां दोनों पक्षों के लिए एक बाध्यता होती है। यानी, जब आप फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट खरीदते हैं, तो आपको भविष्य में उस संपत्ति को खरीदी गई कीमत पर खरीदना होता है। वहीं, अगर आपने बेचा है, तो आपको उसे बेचने की मजबूरी होती है। फ्यूचर्स ट्रेडिंग में अक्सर अत्यधिक लाभ और जोखिम होता है क्योंकि इसमें लीवरेज (उधारी) का उपयोग किया जाता है। यह उधारी निवेशकों को बड़े पैमाने पर लाभ या नुकसान का सामना कराती है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग के फायदे :-

लाभ में वृद्धि (Leverage) : फ्यूचर्स ट्रेडिंग में भी ऑप्शन की तरह लीवरेज का उपयोग किया जाता है, जिससे निवेशक कम पूंजी में बड़े लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

लिक्विडिटी : फ्यूचर्स बाजार सामान्यत: अत्यधिक लिक्विड होते हैं, यानी इसमें प्रवेश और निकासी बहुत आसान होती है।

हेजिंग के लिए उपयुक्त : फ्यूचर्स का उपयोग विभिन्न प्रकार के हेजिंग उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि वित्तीय संस्थाएं और कंपनियां अपनी संपत्तियों के मूल्य में संभावित उतार-चढ़ाव से बचने के लिए फ्यूचर्स का उपयोग करती हैं।

बाजार मूल्य का निर्धारण : फ्यूचर्स बाजार बाजार मूल्य के निर्धारण में सहायता करता है क्योंकि इसमें वायदा अनुबंधों का आदान-प्रदान होता है।

समय सीमा की कमी नहीं : ऑप्शन के विपरीत, फ्यूचर्स में समय के साथ मूल्य कम नहीं होता है। हालांकि, फ्यूचर्स की समाप्ति तिथि होती है, लेकिन इनकी कीमत में समय के कारण कोई कमी नहीं आती है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग के नुकसान :-

उच्च जोखिम : फ्यूचर्स ट्रेडिंग में लीवरेज का उपयोग करने के कारण जोखिम बहुत अधिक होता है। यदि बाजार ट्रेडर के खिलाफ जाता है, तो नुकसान भी बहुत बड़ा हो सकता है।

किंतु अनुबंध की बाध्यता : फ्यूचर्स अनुबंध में निवेशक को अनुबंध की शर्तों को पूरा करना होता है, जिससे कभी-कभी यह अनुबंध निष्पादित करना मुश्किल हो सकता है।

मार्जिन कॉल्स (Margin Calls) : फ्यूचर्स ट्रेडिंग में यदि बाजार विरोधी दिशा में जाता है, तो निवेशक को अतिरिक्त पूंजी डालने के लिए कहा जा सकता है, जिसे मार्जिन कॉल कहा जाता है। इस स्थिति में यदि निवेशक पूंजी नहीं डालता, तो उसकी पोजीशन को बंद कर दिया जाएगा, जिससे भारी नुकसान हो सकता है।

जटिलता : फ्यूचर्स ट्रेडिंग भी जटिल हो सकती है और इसमें बाजार की स्थिति की सटीक पहचान और जोखिम प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग और फ्यूचर्स ट्रेडिंग के बीच तुलना :-

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निष्कर्ष :- f&o दोनों ही वित्तीय उपकरण हैं जो निवेशकों को बड़े लाभ की संभावना प्रदान करते हैं, लेकिन साथ ही इनके साथ उच्च जोखिम भी जुड़ा हुआ है। ऑप्शन ट्रेडिंग की सीमित नुकसान के साथ अधिक लचीलापन प्रदान करती है, जबकि फ्यूचर्स ट्रेडिंग में अधिक लीवरेज और जोखिम होता है।

शुरुआत करने वालों के लिए : ऑप्शन ट्रेडिंग कम जोखिम के साथ अधिक लचीलापन प्रदान कर सकती है, लेकिन समय की संवेदनशीलता और जटिलता को समझना महत्वपूर्ण है।

अनुभवी निवेशकों के लिए : फ्यूचर्स ट्रेडिंग अधिक लाभ कमाने की संभावना देती है, लेकिन इसके साथ जुड़ा जोखिम भी अधिक है। ऐसे निवेशक जिनके पास अच्छे बाजार ज्ञान और जोखिम प्रबंधन कौशल हैं, उनके लिए फ्यूचर्स उपयुक्त हो सकते हैं।

अंत में what is future trading and option trading, दोनों प्रकार के ट्रेडिंग में सावधानी, जोखिम प्रबंधन, और बाजार की गहरी समझ आवश्यक है। प्रत्येक निवेशक को अपनी निवेश रणनीति और जोखिम सहनशीलता के अनुसार उपयुक्त विकल्प का चयन करना चाहिए। what is option and future trading के जानकारी इस आर्टिकल मे हमने आपके लिए समझने और बताने का पुरा प्रयास से लिखा है। यह जानकारी आपके लिए कैसे लगी हमे comment में बताए और ऐसे ही share market information hindi mein में नये नये लेख वेबसाइट trendind.in पर पढ़ते रहे। धन्यवाद!

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